माण्डूक्योपनिषत्-रङ्गरामानुजभाष्य की व्याख्या आप जैसे प्रबुद्ध पाठकों के करकमलों में समर्पित है। इसमें मन्त्र के पश्चात् अन्वय और मन्त्र के पदों का अर्थ प्रस्तुत है, जिससे सामान्य पाठकों को भी मन्त्रार्थ अत्यन्त सरलता से हृदयंगम हो सके। इसके पश्चात् अद्यावधि पर्यन्त उपलब्ध उपनिषद्भाष्यों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण रङ्गरामानुजभाष्य, उसका अनुवाद तथा गम्भीर, विस्तृत और हृदयस्पर्शी व्याख्या सन्निविष्ट है। विषयवस्तु को अवगत कराने के लिए इसे यथोचित शीर्षकों से सुसज्जित किया गया है। इसके अध्ययन विषय अनायास ही हृदयपटलपर अंकित होता चला जाता है पाठकगण इसका स्वयं अनुभव करेंगे। मन्त्र के यथाश्रुत अर्थ का बोध कराना ही हमारे व्याख्याकार आचार्य स्वामीजी को अभीष्ट है, फिर भी कुछ स्थलों में अन्य मतों की संक्षिप्त समालोचना हुई है, जो कि प्रासङ्गिक है। ग्रन्थके अन्तमें परिशिष्ट भी दिये गये हैं, जिससे यह ग्रन्थ शोधकर्ताओं के लिए भी संग्राह्य हो गया है। हमारा विश्वास है कि हिन्दी माध्यम से उपनिषदों के अध्येता इस ग्रन्थरत्न का आदर करेंगे।
माण्डूक्योपनिषत्
₹125.00
AUTHOR |
|
|
---|---|---|
YEAR |
2016
|
|
PAGES | 125 | |
LANGUAGE |
|
|
BINDING | Paperback | |
ISBN | 9788170847149 | |
PUBLISHER | Chaukhamba |
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Reviews
There are no reviews yet.