संस्कृत साहित्य के गद्य, पद्य तथा मिश्र भेदों में से गद्यपद्यमिश्रित भेद के प्रबन्धात्मक स्वरूप का नाम चम्पूकाव्य है। दशम शताब्दी से लेकर अद्यावधि चम्पूकाव्यों की रचना की जा रही है। प्रस्तुत पुस्तक में चम्पूकाव्यों के वैशिष्ट्य के साथ कुछ प्राचीन तथा अर्वाचीन चम्पूकाव्यों का विवेचन किया गया है।
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