महर्षि वेदव्यास विरचित श्रीमद्भागवत एवं महाभारत में भगवान् श्रीकृष्ण के गौरवपूर्ण चरित्र का जो आख्यान प्रस्तुत किया गया है वही आगे चलकर संस्कृत महाकाव्य, नाटक, गीतिकाव्य आदि का अद्यतन उपजीव्य बना हुआ है।
भागवत के श्रीकृष्ण भगवान् के अवतार हैं, उनकी बाललीलाएँ, मनोमुग्धकारी हैं, भागवत में भक्ति का शीतल निर्झर प्रवाहित होता है तो महाभारत में श्रीकृष्ण का शौर्य मण्डित, कीर्ति परिपूर्ण, युद्ध कौशल को प्रकट करने वाला वीर रूप परिलक्षित होता है। वे भारतीय संस्कृति के संवाहक एवं निष्काम कर्मयोग के साथ-साथ ज्ञान एवं भक्तियोग के उद्गाता हैं। भगवान् श्रीकृष्ण के ये दोनों रूप अत्यन्त आह्लादकारी हैं, इन दोनों की विश्व को बड़ी आवश्यकता है।
प्रस्तुत ग्रन्थ में उक्त दोनों महाग्रन्थों चित्रित श्रीकृष्ण के चरित्र का सूक्ष्मेक्षिकया तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। जो अध्येताओं, पाठकों तथा धर्मपिपासु जनों के लिये निश्चित रूप से उपादेय होगा।
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