वैदिक परम्परा में विज्ञान और अध्यात्म – Vedic Parampara

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by Shashi Tiwari

‘वैदिक परंपरा में विज्ञान और अध्यात्म नामक यह ग्रंथ बृहत्तर वैदिक अध्ययन परिषद (वेव्स) की प्रकाशन-श्रृंखला का सप्तम ग्रंथ हैं। दिल्ली-संस्कृत-अकादमी के सौजन्य से, २०१५ में अकादमी में हुए, वेव्स के उन्नीसवें भारत-सम्मेलन में प्रस्तुत, संस्कृत और हिंदी भाषाओं में लिखे हुए, उन्तीस शोधपत्र इसमें प्रकाशित किए गए हैं।

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‘वैदिक परंपरा में विज्ञान और अध्यात्म नामक यह ग्रंथ बृहत्तर वैदिक अध्ययन परिषद (वेव्स) की प्रकाशन-श्रृंखला का सप्तम ग्रंथ हैं। दिल्ली-संस्कृत-अकादमी के सौजन्य से, २०१५ में अकादमी में हुए, वेव्स के उन्नीसवें भारत-सम्मेलन में प्रस्तुत, संस्कृत और हिंदी भाषाओं में लिखे हुए, उन्तीस शोधपत्र इसमें प्रकाशित किए गए हैं।
सामान्यतः यह माना जाता है कि विज्ञान और अध्यात्म एक दूसरे के विरोधी हैं। पर यदि वैदिक दृष्टिकोण से विचार करें, तो ये दोनों एक दूसरे के पूरक प्रतीत होते हैं। सृष्टि के पीछे के सत्य का अन्वेषण विज्ञान का उद्देश्य हैं। और यही अध्यात्म का लक्ष्य है। संकलित शोधपत्रों में वैदिक ज्ञान के परिप्रेक्ष्य में मुख्य विषयों से संबद्ध विषय, जैसे सृष्टिविज्ञान, कृषिविज्ञान, यज्ञ, पर्यावरण, समय, अपूर्व, सूर्यविज्ञान, आयुर्विज्ञान, प्राणविज्ञान, मृत्यु, सत्य आदि पर विचार किया गया है। प्रो० रामसेवक दुबे, डॉ० रणजित बेहेरा, डॉ० सुषमा चौधरी, डॉ० मोहनी आर्या, डॉ० सुमन शमी, डॉ० प्रतिभा शुक्ला, डॉ० मीना कुमारी, डॉ० अरुणा शुक्ला, डॉ० विजेन्द्र कुमार तोमर आदि विद्वानों और विदुषियों के लेख इनमें सम्मिलित हैं।
प्रो० गणेशदत्त शर्मा के प्राक्कथन से समलंकृत यह ग्रन्थ वेव्स के उपाध्यक्ष रहे समर्पित है। यह ग्रंथ निश्चय ही वेद की परंपरा प्रोफेसर लल्लन प्रसाद के अभिनन्दन में उन्हें में विज्ञान और अध्यात्म को समझने में सहायक है।

Year

2018

Pages

240 pp.

ISBN

978-81-7702-422-1

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