पुस्तक परिचय
प्राचीन काल से ही कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की धुरी बना हुआ है। वैदिक ग्रन्थों के अध्ययन से पता चलता है कि तत्कालीन समाज में लोगों के आर्थिक जीवन में कृषि का बहुत अधिक महत्व था। यही कारण है कि वैदिक ग्रन्थों में स्थान-स्थान पर वर्षा के लिए देवताओं तथा नदियों से भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए प्रार्थनाएँ मिलती हैं। उपनिषदों में हमें सर्वप्रथम ‘अन्न बहु कुर्वीत’ का संदेश सुनाई देता है। आज भी अनेक औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रगतियों के होते हुए कृषि पर मानव समाज का अवलम्बन बना हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक ‘वैदिक कृषि-विज्ञान’ की रचना वैदिक संहिताओं, ब्राह्मणों, आरण्यकों एवं उपनिषदों को आधार बनाकर की गई है। इसके अतिरिक्त यथास्थान पुरातात्विक साक्ष्यों की सहायता से भी प्रतिपादित विषय की प्रामाणिकता को सिद्ध करने का प्रयास किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक बारह अध्यायों में विभक्त है। इसमें कृषि की प्राचीनता, चर्षणि एवं कृष्टि, कृषि का महत्व, कृषि सम्बन्धी अनुष्ठान एवं देवी-देवता, भू-स्वामित्व, भू-विभाजन, कृषि उपकरण, कृषि की विधियाँ, सिंचाई व्यवस्था, खाद, कृषिनाशक तत्व एवं अन्न आदि विषयों का विशेष रूप से विश्लेषण किया गया है। मैंने प्रयत्न किया है कि प्रस्तुत ग्रन्थ को सरल एवं सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया जाए। मेरा विश्वास है कि यह ग्रन्थ विद्वान पाठकों के लिए रुचिकर, उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक होगा।
INDEX
लेखक परिचय
देवेन्द्र कुमार गुप्ता का जन्म ५ जुलाई १९७१ को हरिद्वार (उत्तराखण्ड) में हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा हरिद्वार में ही सम्पन्न हुई। इन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग से १९९३ में स्नातकोत्तर परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर स्वर्ण पदक प्राप्त किया। तदुपरान्त १९९६ में इसी विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पी-एच० डी०) की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान समय में डा० गुप्ता, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में ऐसोसियेट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत् हैं। इनकी एक पुस्तक ‘प्राचीन भारत में व्यापार’ कालेज बुक डिपो, जयपुर से २००१ में, दूसरी पुस्तक ‘प्राचीन भारतीय समाज एवं अर्थव्यवस्था’ न्यू भारतीय बुक कॉरपोरेशन, नई दिल्ली से २००४ में तथा तीसरी पुस्तक ‘सूत्र साहित्य में वर्णित भारतीय समाज एवं संस्कृति’ प्रतिभा प्रकाशन, नई दिल्ली से २००९ में प्रकाशित हुई।
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