योग दर्शन में स्वास्थ्य विज्ञान – Yog Darshan Mein Swasthya Vigyan

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by Dharni Dhungel

भारतीय विचार धाराओके मूलस्रोत के रूप में स्थित वेदों तथा उपनिषदों से उत्पन्न हुए योगदर्शन में अष्टाङ्गयोग का वर्णन है जिसके अभ्यास से आध्यात्मिक क्षेत्र के साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी प्रभूत योगदान हो सकता है।

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भारतीय विचार धाराओके मूलस्रोत के रूप में स्थित वेदों तथा उपनिषदों से उत्पन्न हुए योगदर्शन में अष्टाङ्गयोग का वर्णन है जिसके अभ्यास से आध्यात्मिक क्षेत्र के साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी प्रभूत योगदान हो सकता है।

साम्प्रतिक विश्व में बहुलरूप में प्रचलित एलोपेथिक औषधों की पार्श्वक्रिया के कारण विषाक्त प्रभाववाले होने के कारण और अधिक व्यय बहुल होनेके कारण विकल्प चिकित्सा पद्धति के अनुसन्धान में संलग्न चित्तवाले विश्ववासिओं के समक्ष योग को विकल्प चिकित्सा पद्धति के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है क्या? यह चिन्तन कर योगदर्शन में स्वास्थ्य विज्ञानमूलक तत्वों के अनुसन्धान में। हमारी प्रवृत्ति हुई।

इस ग्रन्थ के प्रथम अध्याय में समग्र विध में प्रचलित स्वास्थ्य विज्ञानमूलक तत्वों का वर्णन, भारतवर्ष में प्रचलित स्वास्थ्य रक्षक योग और आयुर्वेद का परिचयात्मक वर्णन कर। गुन्य का प्रयोजन प्रतिपादत किया गया। इसके द्वितीय अध्याय में आयुर्वेदीय विषयों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है जिन में वात आदि तीनों दोषों का। विवरण दिया गया है। सिद्धान्त, दिनचर्या, रात्रिचर्या, ऋतुचर्या आदि, वेगावरोध से उत्पन्न होने वाली व्याधियों, सद्वृत्त तथा पञ्चकर्म के विषय में क्रियाओं और स्वरविज्ञानका वर्णन किया गया है तथा अनेक इसके तृतीय अध्याय में अष्टाङ्गयोग के साथ यौगिक रोगों के निरामय के लिए आवश्यकीय यौगिक क्रियाओं का विवरण है। चतुर्थ अध्याय में स्वास्थ्यरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हठ और राजयोग का वर्णन कर उनके बीच में जो सम्बन्ध है उसका प्रतिपादन किया गया है। में उपलब्ध स्वास्थ्यविज्ञान की प्रासंगिकता तथा अध्ययन इस ग्रन्थ के पञ्चम अध्याय में वर्तमान युग में योगदर्शन सभी अध्यायों के सार भाग को लेकर आलोचना निष्कर्ष रत छात्र, कारागृह निवासी कैदी, अन्तरिक्ष यात्री, उद्योगकर्मी, करते हुये लोगों के चित्त आकर्षण का प्रयास किया गया है। नामक षष्ठ अध्याय ग्रन्थ के अन्त में संलग्न किया गया। इस खिलाडी, विकलाङ्ग आदि के लिए इसकी उपादेयता प्रस्तुत ग्रन्थ में शोध के समय में प्राप्त हो तथ्यों को सरल भाषा में उपस्थापन का प्रयास किया गया है।

ISBN

93-85538-24-1

Year

2017

Pages

298

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