भारत की प्राचीनतम चिकित्सा विद्या के क्षेत्र में दन्त एवं मुख रोगों की प्रतिरक्षण तथा भारतीय दन्त विज्ञान (आयुर्वेदीय मुख-दन्त-रोग चिकित्सा पद्धति) नामक पुस्तक अपने स्वरूप का मौलिक, नवीनतम एवं अभाव सम्पूरक प्रयास है, जिससे दन्त विज्ञान (डेन्टल साइंस-डेन्टिस्ट्री) विषय पर बहु-आयामी भारतीय शास्त्रों में निहित सामग्री दिशा निर्देश का प्रस्तुतीकरण है, जो समकालीन वैज्ञानिक अध्ययन-शोध-चिकित्सा व्यवहार की विस्तृत-विषद्-विश्वसनीय परिणामोन्मुखी संभावना प्रदान करता है। इस पुस्तक की सामग्री को छह प्रकरणों में परिशिष्ट (तालिका आदि) सहित विभाजित करके प्रस्तुत किया गया है। जिनमें (१) मुखशारीर एवं व्याकरण, (२) दन्त स्वास्थ्य एवं संरक्षण, (३) नव्य दन्त चिकित्सा विज्ञानीय क्षेत्र, (४) मुख-दन्त रोग निदान, (५) मुख-दन्तरोग चिकित्सा, (६) प्रमुख औषधयोग तथा परिशिष्ट (आधुनिक दन्त विज्ञान जातक) तथा घृतकुमारी पर दन्तविज्ञानीय अनुसंधान सम्मिलित (वर्गीकृत) है।
यह पुस्तक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विज्ञान के शिक्षण-शोध-चिकित्सालय-निर्माणशाला पुस्तकालय तथा बुद्धिजीवीवर्ग हेतु अत्युपयोगी है, जो दन्त (मुख) रोगों से रक्षा एवं उनके उपचार में रुचि रखते हैं। यह आधुनिक जीवन शैली को रोगमुक्त बनाने विशेषत: दन्त एवं मुख रोगों से संरक्षण प्रदान करने में परम सहायक है। यह आयुर्वेदिक कालेजों तथा डेन्टल कालेजों-दन्त चिकित्सालयों, शालाक्य तन्त्र (इ०एन०टी०) विभागों, मेडिकल कालेजों आदि के लिए आदेय ग्रन्थ है।
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