पुस्तक परिचय
इस पुस्तक के लेखक डॉ० सुधाकर तिवारी (आई० आर० एस०) केन्द्र सरकार की सेवा में रहते हुए इलाहाबाद केन्द्रीय विश्व विद्यालय से गीता पर शोध प्रबन्ध प्रस्तुत करने वाले विश्व के एक मात्र विद्याव्यसनी विद्वान् हैं। अतः उनकी यह पुस्तक बाजार में उपलब्ध गीता के अन्य संस्करणों से बिल्कुल भिन्न है। इसमें गीता के सात सौ श्लोक, हिन्दी अनुवाद और टिप्पणियों के अतिरिक्त गीता पर 51 विचारपूर्ण निबन्ध भी हैं, जो इसे सर्वांग पूर्ण बनाते हैं। इन निबन्धों में वेद, शास्त्र, पुराण, उपनिषद्, महाभारत, मनुस्मृति और भारतीय दर्शनों पर अच्छा प्रकाश डाला गया है और गीता से इनके सम्बन्धों का भी विवेचन है। प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के सभी प्रमुख विद्वानों के गीता पर जो विचार हैं उनका भी समीक्षात्मक विवेचन है। गीता के दर्शन की तथा इसके आध्यात्मिक, नैतिक, धार्मिक और सामाजिक मूल्यों की विस्तृत विवेचना है।
गीता वर्तमान काल में कितना प्रासंगिक है, इस पर भी विचार किया गया है। गीता से संबन्धित कोई विषय छूटा नहीं है। जो गीता के साथ ही हिन्दू धर्म, दर्शन और संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं और जिनकी दृष्टि तार्किक है, उन्हीं महानुभावों के लिए यह पुस्तक है।
पुस्तक के कुछ पृष्ठ :
Reviews
There are no reviews yet.