गीता की वैश्विक उपादेयता

Original price was: ₹795.00.Current price is: ₹600.00.

Author Rita Tiwari
Edition 2019
ISBN 9788177024582
Pages 226
Binding

Publisher

Hardbound

PRATIBHA PRAKASHAN

 

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गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रविस्तरैः श्रीमद्भगवद्गीता एक विलक्षण शास्त्र है। इसका एक एक शब्द सदुपदेश से परिपूर्ण है। अतः अपना कल्याण चाहने वाले प्रत्येक मनुष्य को गीता को अपने जीवन में आचरण करना चाहिए।

गीता हतोत्साहित, भयभीत, मोहग्रस्त, वीर धनुर्धर योद्धा अर्जुन को उसकी शक्ति की पहचान कराने वाला शास्त्र है। आज का मानव भी, विशेष रूप से युवा वर्ग हतोत्साहित, भयभीत, मोहग्रस्त, किंकर्तव्यविमूढ़, स्वयं की जागृति से अत्यन्त भटकता हुआ सा है। ऐसे में यह गीता शास्त्र उसे मार्गदर्शक व प्रेरक का कार्य करती है। आज के समाज को भी श्री कृष्ण जैसे पथ प्रदर्शक की महती आवश्यकता है तथा अर्जुन जैसे भावचेतना से युक्त शिष्य की भी, जो अपने पूज्य गुरु के प्रति पूर्णतया विश्वस्त और समर्पित हो।

गीता हमारे जीवन में दैनन्दिन व्यवहार से लेकर आध्यात्मिक चेतना के विकास को उच्चतम शिखर तक पहुंचाने का कार्य करती है। आज प्रत्येक मानव मात्र को इस शास्त्र को पढ़ने, समझने व अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है। गीता शास्त्र सर्वमान्य है, वैश्विक है।

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