ऋग्भाष्य-पदार्थ-कोष
ऋग्भाष्य-पदार्थ-कोष प्रो॰ ज्ञानप्रकाश शास्त्री द्वारा सम्पादित ऋग्वेद के पदों का एक ऐसा विश्वकोशात्मक शब्दकोश है जिसमें ऋग्वेद के पदों को अकारादि क्रम से रखते हुए महर्षि यास्क से लेकर स्वामी दयानन्द सरस्वती तक भारतवर्ष के समस्त प्रख्यात भाष्यकारों द्वारा किये गये अर्थों को क्रमशः दिया गया है।
उद्देश्य एवं क्रियान्वयन
वैदिक साहित्य के अनेक अनुसन्धाता एवं अध्येता की यह स्वाभाविक जिज्ञासा और अभिलाषा रही है तथा प्रयत्न भी रहा है कि वैदिक साहित्य का ऐसा कोष हो जिसमें प्राचीन समय से लेकर आधुनिक समय तक के प्रख्यात भाष्यकारों के द्वारा किये गये प्रत्येक पद का अर्थ एकत्र रूप से सुलभ हो। स्वामी विश्वेश्वरानन्द एवं स्वामी नित्यानन्द ने विश्वेश्वरानन्द वैदिक शोध संस्थान की स्थापना मुख्य रूप से इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए की थी। उनकी इच्छा मूलतः इसी प्रकार के कोष-निर्माण की थी। हालाँकि इस तरह के कोष-निर्माण के लिए आवश्यक पद-सूचियाँ एवं अनुक्रमणिका तैयार करने के प्राथमिक कार्य में ही उक्त दोनों स्वामियों के अतिरिक्त आचार्य विश्वबन्धु शास्त्री का स्तुत्य योगदान रहा। आचार्य विश्वबन्धु शास्त्री ने अनेक विद्वानों की सहायता से सोलह खण्डों में निर्मित वैदिक-पदानुक्रम-कोष के अतिरिक्त चतुर्वेद वैयाकरण पद सूची भी दो खण्डों में तैयार की है तथा प्राचीन भारतीय भाष्यकारों में प्रख्यात स्कन्दस्वामी, उद्गीथ एवं वेंकटमाधव के भाष्य सहित ऋग्वेद का एक परिपूर्ण संस्करण भी तैयार किया। परन्तु, इन कार्यों के मूल में निहित समस्त प्रख्यात भाष्यकारों द्वारा किये गये अर्थो के कोष encyclopedic dictionary निर्माण की इच्छा पूरी नहीं हो पायी थी। ऋग्भाष्य-पदार्थ-कोषः यास्कतः दयानन्दपर्यन्तम् के रूप में प्रो॰ ज्ञानप्रकाश शास्त्री ने यही कार्य लगभग पूरा कर दिया है। आठ भागों में प्रकाशित इस कोष में ऋग्वेद के पदों विभक्तियुक्त शब्दों को वर्णानुक्रम से रखते हुए वैदिक शब्दार्थों के सर्वाधिक प्राचीन उपलब्ध अन्वेषक महर्षि यास्क द्वारा किये गये निरुक्त में उपलब्ध शब्दार्थ से लेकर आधुनिक युग के स्वामी दयानन्द सरस्वती तक कुल ग्यारह मनीषियों द्वारा किये गये भाष्यों अथवा वृत्तियों से ऋग्वेद के पदों शब्दों के अर्थ क्रमशः दिये गये हैं।
- आचार्य सायण
- स्वामी दयानन्द सरस्वती
- आचार्य उद्गीथ
- यास्क
- आत्मानन्द
- दुर्गाचार्य
- वररुचि
- स्कन्द महेश्वर
- स्कन्दस्वामी
- वेंकटमाधव
- आचार्य मुद्गल
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