उत्तर भारत का सांस्कृतिक इतिहास

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Cultural History of North India (With Reference to the Seventh Century AD)

Author-Editor/लेखक-संपादक
DN Maurya
Language/भाषा
Hindi
Edition/संस्करण
2008
Publisher/प्रकाशक
Pratibha Prakashan
Pages/पृष्ठ
328
Binding Style/बंधन शैली
Hard Cover 
ISBN
8177021516
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पुस्तक के विषय में:

प्रस्तुत ग्रन्थ ऐतिहासिक अनुशीलन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण विषय पर प्रस्तुत उपयोगी कृति है। यह ग्रंथ अनेक नवीन तथ्यों को उद्घाटित करता है और पूर्व में किये गये शोधों की अपेक्षाकृत गहन अध्ययन का द्योतन करता है। यह ग्रन्थ सामाजिक स्तरीकरण, वर्णों एवं जातियों की स्थिति के समीक्षात्मक अध्ययन पर आधारित है। कायस्थों का जाति के रूप में संगठित होना तथा उसके कारणों का विश्लेषण नवीन तथ्यों के आलोक में किया गया है। कलात्मक विकास के क्षेत्र में स्थानीय शैलियों का प्रभाव एवं लोकदेवताओं की प्रतिमाओं का निर्माण, चित्रकला में विविधता, धार्मिक, शैक्षिक एवं साहित्यिक विकास का सम्यक विवेचन साक्ष्यों के आलोक में किया गया है।
इस ग्रंथ में ऐतिहासिक अनुक्रम को सर्वत्र प्रमुखता प्रदान की गयी है। यह ग्रन्थ इतिहास अध्येताओं तथा शोधार्थियों के लिए अत्यन्त उपयोगी है।

लेखक के विषय में:

उत्तर-प्रदेश के गोरखपुर के खजनी तहसील के ग्राम उनवल (कला संग्रामपुर) के प्रतिष्ठित मौर्य परिवार में जुलाई 1972 ई० में जन्मे डॉ० दिग्विजय नाथ की शिक्षा गोरखपुर में हुई। इन्होंने प्रथम श्रेणी में कला एवं शिक्षा में स्नातक उपाधि के पश्चात् 1994 ई० में स्नातकोत्तर उपाधि प्रथम श्रेणी में द्वितीय स्थान के साथ प्राचीन इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति विषय में प्राप्त किया। तदनन्तर 1996 में नेट उत्तीर्ण कर वहीं से 2003 में पी-एच०डी० उपाधि प्राप्त की। .

डॉ० दिग्विजयनाथ दी०द०उ० गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के प्राचीन इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग में 29 नवम्बर 1998 को प्रवक्ता पद पर नियुक्त हुए। ये जीवन से ही सामाजिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा सम्बन्धी गतिविधियों में सक्रिय रूप से सहभागी रहे हैं। 1996 से 1998 तक राहुल सांकृत्यायन पीठ में ‘रिसर्च फेलो’ ले पद पर कार्य कर चुके डॉ० नाथ की एकाधिक पुस्तकों के प्रणयन में सक्रिय सहभागिता रही। आप के अब. तक, 15 शोध पत्र, राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।

इसके अतिरिक्त आप विभिन्न अकादमिक संस्थानों/समितियों के आजीवन सदस्य तथा अनेकशः राष्ट्रीय संगोष्ठियों के सक्रिय सहभागी रहे हैं। आप पुरातात्विक उत्खननों तथा सर्वेक्षण कार्यों से भी जुड़े रहे हैं। आप इण्डियन इन्स्टीट्यूट ऑफ न्यूमस्मेटिक स्टडीज नासिक तथा भोगीलाल लेहरचन्द इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डोलॉजी दिल्ली से मुद्रा शास्त्र एवं भारतीय विद्या में प्रशिक्षित हैं।

सम्प्रति आप दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के प्राचीन इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग में वरिष्ठ प्रवक्ता पद पर कार्यरत हैं।

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